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महंगाई के मोर्चे पर अच्छी खबर, थोक मुद्रास्फीति लगातार चौथी बार 0 फीसदी से नीचे, लेकिन जून के मुकाबले बढ़ी

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थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति यानी महंगाई दर जुलाई में -1.36 प्रतिशत रही. ईंधन की कीमतों में नरमी और खाद्य पदार्थों के दाम बढ़ने के बीच यह लगातार चौथा महीना है जब थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति शून्य से नीचे रही है. यह लगातार अप्रैल से शून्य से नीचे बनी हुई है. मासिक स्तर पर देखा जाए तो इसमें तेजी आई है. क्योंकि जून में खुदरा महंगाई दर -4.12 प्रतिशत थी. वहीं, पिछले साल जुलाई में यह 14.07 प्रतिशत थी, तो वार्षिक आधार पर यह अच्छी खबर मानी जा सकती है.

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जुलाई में खाद्य पदार्थों की मुद्रास्फीति 14.25 प्रतिशत रही, जो जून में 1.32 प्रतिशत थी. वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय ने सोमवार को कहा, ‘‘जुलाई 2023 में मुद्रास्फीति की दर में गिरावट मुख्य रूप से खनिज तेल, बुनियादी धातुओं, रसायन व रसायन उत्पादों, कपड़ा और खाद्य उत्पादों की कीमतों में गिरावट के कारण आई.’’ ईंधन और बिजली खंड की मुद्रास्फीति जुलाई में -12.79 प्रतिशत रही, जो जून में -12.63 प्रतिशत थी. फैक्ट्री में बने उत्पादों की मुद्रास्फीति मई में -2.51 प्रतिशत रही. जून में यह -2.71 प्रतिशत थी.

खुदरा महंगाई दर
संभव है कि आज शाम तक खुदरा महंगाई के आंकड़े भी जारी कर दिये जाए. रिटेल इन्फ्लेशन के मोर्चे पर भी अभी स्थिति संतोषजनक बनी हुई है. पिछले महीने जून माह के जो महंगाई आंकड़े जारी हुए थे उसमें बेशक मुद्रास्फीति में उछाल दिखा था लेकिन वह तब भी 4 फीसदी के करीब और 6 फीसदी से काफी नीचे ही थी. बता दें कि खुदरा महंगाई दर को देखते हुए ही आरबीआई नीतिगत दरों पर फैसला करता है. पिछली 3 बैठकों में आरबीआई ने रेपो रेट में कोई बदलाव न करते हुए स्थिति के काबू में होने का संकेत दिया है.

आरबीआई का महंगाई पर बयान
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बढ़ती खुदरा महंगाई को काबू में रखने के साथ अर्थव्यवस्था को गति देने के मकसद से लगातार तीसरी बार नीतिगत दर रेपो को 6.5 प्रतिशत पर पिछले सप्ताह बरकरार रखा था.आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था, ‘‘मुद्रास्फीति को लेकर अभी काम खत्म नहीं हुआ है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य वस्तुओं, ऊर्जा के दाम में उतार-चढ़ाव तथा भू-राजनीतिक तनाव बने रहने तथा मौसम संबंधित अनिश्चितताओं के कारण मुद्रास्फीति को लेकर जोखिम बना हुआ है.’’आरबीआई ने खाद्य वस्तुओं के दाम के कारण उत्पन्न दबाव का हवाला देते हुए चालू वित्त वर्ष 2023-24 के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान 5.1 प्रतिशत से बढ़ाकर 5.4 प्रतिशत कर दिया है. जुलाई-सितंबर तिमाही में महंगाई दर 6.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है जो पहले के 5.2 प्रतिशत के अनुमान से ज्यादा है.