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सेना ने तैनात किया एंटी ड्रोन सिस्टम, एयर डिफेंस मिसाइल और राफेल भी एक्शन मोड में

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तकनीक के दौर में सहूलियत के साथ-साथ चुनौतियां भी बढ़ी हैं, जिसमें सबसे बड़ा है एरियल थ्रेट. आज के दौर में ड्रोन के जरिए हमलों की संख्या में इज़ाफ़ा देखा गया है और चूंकि अब जी20 शिखर सम्मेलन जैसे बड़े आयोजना हो रहे हैं, तो एरियल थ्रेट जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए भारत ने भी पूरी तैयारी कर ली है. ख़ास तौर पर एयरपोर्ट को सुरक्षित किया गया है क्योंकि सभी मेहमान अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर ही उतरेंगे और लैंडिंग से पहले रनवे के अप्रोच एरिया को पूरी तरह से सिक्योर करना जरूरी है क्योंकि लैंडिंग से पहले एयरक्रफ्ट की उंचाई इसी जगह सबसे कम होती है.
इसी को ध्यान में रखते हुए सेना ने एयर डिफेंस के लिए व्हिकल माउंटेड एंटी ड्रोन सिस्टम और लेजर डेज़लरों की भी तैनाती की है, जो कि किसी भी तरह के ड्रोन या लो फ्लाइंग ऑब्जेक्ट को सॉफ़्ट और हार्ड किल कर निष्क्रिय कर देगी. चौबीसों घंटे एक सिस्टम के ज़रिए निगरानी रखना संभव नहीं होता, लिहाजा दो सिस्टम को एक साथ तैनात किया गया है जो कि राउंड द क्लॉक ऑपरेट कर सकते हैं. इसी तरह से ये सिस्टम कई होटल की छतों पर भी लगाए गए हैं जो कि 10 किलोमीटर रेंज से किसी भी अपने या दुश्मन के ड्रोन को ट्रैक कर सकते हैं और 3 से 5 किलोमीटर की दूरी पर उसे सॉफ़्ट किल के तहत आसानी से ज़मीन पर गिरा सकते हैं.

दो दर्जन से ज्यादा एंटी ड्रोन सिस्टम के तैनात किया गया है. इसके अलावा दिल्ली के आस पास लॉन्ग रेंज रडार स्वाती को तैनात किया गया है जो कि हर एक एरियल टारगेट पर नज़र रख रहा है. वायुसेना की ज़िम्मेदारी है एयर स्पेस सैनेटाइजेशन की, जिसके तहत कोई भी ऐसा ऑब्जेक्ट जैसे की कोई भी लो फ़्लाइंग ऑब्जेक्ट, एयरक्रफ्ट या ड्रोन आसमान में नहीं होना चाहिए जिस पर पाबंदी है.

जी-20 सम्मेलन : सुरक्षा के लिए एयर डिफेंस मिसाइल और राफेल
जी-20 सम्मेलन की सुरक्षा को लेकर भारतीय वायुसेना ने एक ऑपरेशन डायरेक्शन सेंटर बनाया है. यह सेंटर दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट से सीधा जुड़ा है. वायुसेना ने ‘जी-20’ सम्मेलन के दौरान सुरक्षा के लिए एयर डिफेंस मिसाइल और राफेल को भी एक्शन मोड में रखा है. दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान पैराग्लाइडर, पैरामोटर, हैंग ग्लाइडर, यूएवीएस, यूएएसएस, माइक्रोलाइट विमान, दूर से संचालित विमान, गर्म हवा के गुब्बारे, छोटे जैसे उप-पारंपरिक हवाई प्लेटफार्मों को उड़ाना अवैध होगा.