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क्या मॉस्को-कीव के बीच खत्म होगी जंग? रूसी विदेशमंत्री ने बताया- पुतिन क्या चाहते हैं…

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रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने भारत में जी-20 शिखर सम्मेलन को सफल बताया है. उन्होंने कहा कि वैश्विक दक्षिण के देशों की समेकित स्थिति के कारण, रूस यह सुनिश्चित करने में कामयाब रहा कि जी-20 एजेंडा यूक्रेन युद्ध से प्रभावित न हो. जैसा कि ग्रुप-20 ने एक आम सहमति घोषणा को अपनाया जिसमें यूक्रेन में युद्ध के लिए रूस की निंदा करने से बचा गया था. वहीं, उन्होंने शांति की बात से परहेज नहीं किया.

रूसी विदेश मंत्री से पूछा गया था कि क्या रूस और यूक्रेन के बीच युद्धविराम हो सकता है? इस पर सर्गेई लावरोव ने जवाब दिया, ‘हर कोई शांति चाहता है. लगभग 18 महीने पहले हम इस संघर्ष को सुलझाने के बारे में एक संधि पर हस्ताक्षर करने के लिए सहमत हुए थे. हमने इन दस्तावेजों को भी शुरू किया. उसके बाद, एंग्लो-सैक्सन ने ज़ेलेंस्की को इस पर हस्ताक्षर नहीं करने का आदेश दिया, क्योंकि उन्हें लगा कि वे हमसे कुछ स्वीकारोक्ति प्राप्त करने में सक्षम होंगे.’

व्लादिमीर पुतिन को बातचीत से आपत्ति नहीं
उन्होंने कहा, ‘राष्ट्रपति पुतिन ने हाल ही में कहा है कि हमें बातचीत से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन ऐसी किसी भी वार्ता में जमीनी हकीकत पर विचार करने और नाटो की आक्रामक नीति के कारण दशकों से जमा हो रहे कारणों को ध्यान में रखने की जरूरत है.’ उन्होंने कहा, ‘अभी यूक्रेनी अधिकारी रूसियों को शारीरिक रूप से खत्म करने की धमकी दे रहे हैं.’

सर्गेई लावरोव ने यह भी कहा कि रूस अपनी शर्तों को पूरा करते ही काला सागर अनाज सौदे पर लौटने के लिए तैयार था. संयुक्त राष्ट्र और तुर्की की मध्यस्थता के एक साल बाद मास्को ने जुलाई में इस समझौते को छोड़ दिया था. तब शिकायत की थी कि उसके अपने खाद्य और उर्वरक निर्यात को बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है और अपर्याप्त यूक्रेनी अनाज जरूरतमंद देशों में जा रहा है.

उन्होंने कहा कि रूस अनाज वार्ता को सुविधाजनक बनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र के प्रयासों को महत्व देता है, लेकिन इसे ‘केवल पश्चिम की वार्ता’ कहा. नई दिल्ली जी-20 शिखर सम्मेलन को ‘मील का पत्थर’ करार देते हुए उन्होंने कहा कि भारत की अध्यक्षता की सक्रिय भूमिका ने वास्तव में जी-20 देशों को मजबूत किया है.

जी20 शिखर सम्मेलन को बताया मील का पत्थर
उन्होंने कहा, ‘अभी लंबा रास्ता तय करना है लेकिन यह शिखर सम्मेलन मील का पत्थर साबित हुआ है. मैं भारतीय प्रधानमंत्री की सक्रिय भूमिका का भी उल्लेख करना चाहूंगा जिसने इतिहास में पहली बार जी-20 देशों को वास्तव में वैश्विक दक्षिण से समेकित किया है. हमारे ब्रिक्स साझेदार ब्राजील, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका विशेष रूप से सक्रिय रहे हैं और वैश्विक दक्षिण देशों द्वारा अपने वैध हितों को बनाए रखने और उनकी रक्षा के लिए उठाए गए इन समेकित रुख के लिए धन्यवाद.’