ग्राहकों को ठगी से बचाने के लिए सरकार ने अब सोने के आभूषणों पर हॉलमार्किंग (Gold Hallmarking) अनिवार्य कर दी है. लेकिन, कुल लोग अब भी नकली हॉलमार्किंग लगाकर सोने के मिलावटी गहने बेच रहे हैं. हॉलमार्किंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (HFI) ने भी माना है कि कुछ लोग सोने के आभूषणों पर नकली हॉलमार्किंग (Fake Gold Hallmark) कर रहे हैं. इसलिए अगर आप भी धनतेरस पर गहने खरीदें तो हॉलमार्क पर आंख मूंदकर विश्वास न करें. इस बात की जांच अवश्य कर लें कि हॉलमार्क असली है या नकली.
हॉलमार्किंग सोने की शुद्धता की गारंटी होती है. हॉलमार्क हर आभूषण पर लगने वाला एक निशान होता है. इसमें भारतीय मानक ब्यूरों (BIS) का लोगो, उसकी शुद्धता दी होती है. इसके साथ ही टेस्टिंग सेंटर आदि की भी जानकारी हॉलमार्किंग में मिलती है. किसी आभूषण में सोने की मात्रा अलग-अलग होती है, जो उसकी शुद्धता यानी कैरेट के आधार पर तय होती है. कई बार ज्वैलर्स कम कैरेट के आभूषणों पर ऊंची कैरेट की कीमतें वसूलते हैं. इसी को खत्म करने के लिये हॉलमार्किग को अनिवार्य किया गया है.
खरीदार हॉलमार्किंग का केवल चिह्न देखकर खरीदारी कर लेते हैं. आभूषणों पर बना हुआ चिह्न असली है या नकली इसकी पहचान खरीदारी के समय नहीं करते. इसका लाभ नकली हॉलमार्किंग आभूषण बेचने वाले कारोबारी उठाते हैं. नकली हॉलमार्किंग का खुलासा अक्सर बेचने के समय होता है.
हॉलमार्किंग को जानें
सरकार ने पिछले साल 1 जुलाई से गोल्ड ज्वेलरी की हॉलमार्किंग के संकेतों में बदलाव करते हुए संकेतों की संख्या तीन कर दी है. पहला संकेत बीआईएस हॉलमार्क का होता है. यह एक तिकोना निशान होता है. दूसरा संकेत शुद्धता (Purity) के बारे में बताता है. यानी, इससे पता चलता है कि गहना कितने कैरेट सोने से बना है. तीसरा संकेत छह डिजिट का एक अल्फान्यूमेरिक कोड होता है जिसे HUID नंबर कहा जाता है. HUID का मतलब हॉलमार्क यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर होता है. इस छह डिजिट के कोड में लेटर और डिजिट्स शामिल होते हैं. हॉलमार्किंग के वक्त हर ज्वेलरी को एक HUID नंबर एलॉट किया जाता है. यह नंबर यूनिक होता है. इसका मतलब है कि एक ही एचयूआईडी नंबर की दो ज्वेलरी नहीं हो सकती.