Home छत्तीसगढ़ युवाओं ने प्रस्तुत की 2047 के विकसित भारत की परिकल्पना

युवाओं ने प्रस्तुत की 2047 के विकसित भारत की परिकल्पना

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कृषि महाविद्यालय की पहल

06 सर्वश्रेष्ठ विचारों को प्रमाण-पत्र देखकर सम्मानित किया गया

बिलासपुर – बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र, बिलासपुर में “विकसित भारत लक्ष्य 2047 – युवाओं के विचार” अभियान के अंतर्गत “विकसित भारत में कृषि शिक्षा, अनुसंधान, प्रसार एवं विकास के भावी स्वरूप एवं कार्य योजना” विषय पर एक दिवसीय विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया l
आज के विचार गोष्ठी के मुख्य अतिथि डॉ.आर.के.एस. तिवारी, अधिष्ठाता, कृषि महाविद्यालय, बिलासपुर एवं अतिथियों ने कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलित कर किया।

आयोजन पर प्रकाश डालते हुए आयोजन सचिव वैज्ञानिक अजीत विलियम्स ने बताया कि भारत सरकार द्वारा संचालित इस कार्यक्रम में महाविद्यालय में अध्यनरत छात्र-छात्राओं से आजादी के 100 वर्ष पूर्ण होने तक विकसित भारत के भावी स्वरूप पर विजनरी डॉक्यूमेंट “विकसित भारत @2047” में युवाओं के विचार समाहित किया जाना है। माननीय प्रधानमंत्री जी इस दिशा में देश के आर्थिक, सामाजिक, पर्यावरण, सुशासन सहित स्थाई विकास के भावी स्वरूप एवं उसका रोड मैप तैयार करना चाहते हैं। इस दिशा में उपरोक्त विषयों पर चर्चा, परिचर्चा, भाषण, वाद-विवाद, पोस्ट एवं सोशल मीडिया का उपयोग कर छात्रों को प्रेरित करना है तथा इस उद्देश्य को पूर्ण करने हेतु आज का आयोजन इस दिशा में एक प्रयास है।

मुख्य अतिथि की आसंदी से अपने विचार व्यक्त करते हुए डॉ. तिवारी ने कहा कि आजादी के 76 वर्ष पूरे हो गए हैं। भारत के पास अनगिनत उपलब्धियां है। लेकिन विकसित राष्ट्र बनने के लिए इससे कई गुना आगे जाने की जरूरत होगी। इसके लिए हमारे पास सिर्फ 24 वर्ष का समय है। माननीय प्रधानमंत्री महोदय ने एक लक्ष्य रखा है। सन 2047 यानी जब देश आजादी के 100 वर्ष पूरा कर रहा होगा तब वह विकसित राष्ट्र बन चुका होगा। यह संकल्प कठिन है लेकिन नामुमकिन नहीं। सही मायने में विकास का मतलब सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक, क्षेत्रीय एवं व्यक्तिगत विकास से है। अभी भी देश की कई आबादी ऐसी है जहां तक मूलभूत सुविधाएं लोगों को मुहैया नहीं हो पाई है। हमें उस दिशा में भी प्रयास करना होगा । वह भी हमारा लक्ष्य है।

हम विगत साढे सात दशकों की उपलब्धियां पर संतुष्ट होकर नहीं बैठ सकते। हमें एकजुट होकर विकास की राह में आगे बढ़ना होगा। अगर प्रत्येक नागरिक अगले 24 वर्ष में भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का प्रण ले ले तो कोई भी चुनौती उस लक्ष्य को प्राप्त करने में बाधक नहीं बन सकती।

“भारत कैसे बने विकसित राष्ट्र” पर अपने विचार व्यक्त करते हुए प्रथम वर्ष के छात्र नीतेश कुमार साहू ने कहा कि विकास का अर्थ मात्र प्रति व्यक्ति आय बढ़ाना ही नहीं है, बल्कि सामाजिक एवं मानव विकास भी इसके घटक हैं। अगले 24 वर्षों में हमें स्वास्थ्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय निवेश की आवश्यकता होगी। भारत को श्रम क्षेत्र में कौशल की कमी को दूर करने पर भी फोकस करना होगा।

द्वितीय वर्ष के छात्र जितेश्वर साहू ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भारत विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। जिस दर से हमारी अर्थव्यवस्था बढ़ रही है अगर यही रफ्तार निरंतर रहा तो हम विकसित भारत लक्ष्य 2047 को निश्चित ही प्राप्त कर लेंगे। इस लक्ष्य की प्राप्ति के के लिए पांच बुनियादी पहलुओं पर विशेष ध्यान देना होगा – मजबूत अर्थव्यवस्था, रोजगार उन्मुख शिक्षा एवं गरीबी उन्मूलन, स्वास्थ्य, शिक्षा एवं खेती किसानी।

प्रथम वर्ष के महेंद्र सिंह ने कहा कि कृषि शिक्षा में युवा पहले की तुलना में काफी ज्यादा संख्या में आ रहे हैं। लेकिन दुर्भाग्य यह है कि ज्यादातर युवा इसे प्रोफेशन के रूप में नहीं अपना रहे हैं l द्वितीय वर्ष की कु. साक्षी वर्मा ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि पहले जीवन की तीन आधारभूत आवश्यकता रोटी, कपड़ा और मकान माने जाते थे। लेकिन अब शिक्षा जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं में शामिल हो गई है। शिक्षा के क्षेत्र में मात्र सरकारी प्रयासों पर ही निर्भर नहीं रहा जा सकता। सबके सम्मिलित प्रयास से शिक्षा के बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ कर हम विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।

प्रथम वर्ष के छात्र सौम्यादित्य ने कहां की 2047 के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हम सबको एक साथ मिलकर काम करना होगा। अगले 24 वर्षों में भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का प्रण हर भारतीय को लेना होगा। छात्रा कु. श्वेता टंडन ने कहा कि हमें अपनी विरासत पर गर्व करना होगा तथा गुलामी की मानसिकता छोड़कर आत्मनिर्भर बनना होगा। विकसित राष्ट्र बनने के लिए रोजगार के अवसर, भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना तथा महिला एवं पुरुष अनुपात की खाई को पाटना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।

छात्र दीक्षांत मानिकपुरी ने लैंगिक विभिन्नता को विकास के राह में सबसे बड़ी बाधा माना।

द्वितीय वर्ष के छात्र वैभव वर्मा ने कहा कि आज हम कृषि के क्षेत्र में विभिन्न कृषि प्रणालियां,उन्नत नस्ले, तकनीकियां विकसित कर निरंतर प्रगति कर रहे हैं लेकिन क्षेत्र की दृष्टि से उत्पादकता में आज भी पीछे हैं । जिसका मुख्य कारण इन तकनीकों का किसानों के न्यूनतम वर्ग तक नहीं पहुंचना है। नवीन तकनीकियों का किसानों द्वारा नहीं अपनाना बहुत ही चिंता का विषय है। विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हमें अपने अन्नदाता कृषकों को आर्थिक रूप से सुदृढ़ करना होगा तथा उन्हें यह विश्वास दिलाना होगा कि यह तकनीकी कृषि के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में लाभप्रद होगी।

द्वितीय वर्ष की छात्रा कु. प्रियांशी वर्मा ने शिक्षा, ग्रामीण विकास, औद्योगीकरण के माध्यम से विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने से रोजगार के अवसर बढ़ने, सामाजिक समानता, महिला सशक्तिकरण, विकास के साथ आर्थिक सुरक्षा, आर्थिक विकास का संयोजन भारतीय विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना।

द्वितीय वर्ष के दीपांशु साहू ने विकास में सबसे बड़ी बाधा देश की बढ़ती हुई जनसंख्या को माना तथा इस पर तुरंत अंकुश लगाने की पहल की l आज के विचार गोष्ठी में छात्र वेदराम वर्मा, अभिषेक ठाकुर, कु.श्वेता सिंह एवं अन्य वक्ताओं ने भी अपने विचार रखें।

विचार गोष्ठी में छात्रों द्वारा प्रस्तुत 06 सर्वश्रेष्ठ विचार व्यक्त करने वाले वक्ताओं में छात्र जितेश्वर साहू, कु. साक्षी वर्मा, वैभव वर्मा, दीपांशु साहू, प्रियांशी वर्मा तथा नितेश कुमार यादव को स्मृति चिन्ह तथा प्रमाण पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया l

कार्यक्रम के सफल आयोजन में डॉ. गीत शर्मा, अजय टेगर, प्रर्मेंद्र कुमार केसरी, अर्चना केरकट्टा एवं युष्मा साव का सराहनीय योगदान रहा l कार्यक्रम का सफल संचालन वैज्ञानिक अजीत विलियम्स ने किया। आज के आयोजन में लगभग 150 छात्र-छात्राओं ने अपनी सहभागिता की l आज के आयोजन के दौरान छात्र-छात्राओं ने हमारा संकल्प विकसित भारत की ऑनलाइन शपथ लेकर ई-प्रमाण पत्र भी प्राप्त किया।