देश में पुरानी पेंशन (OPS) की मांग और नई पेंशन स्कीम (NPS) पर विवाद के चलते लाखों कर्मचारियों से एक चूक होती जा रही है. साल 2004 के बाद नौकरी ज्वाइन करने वाले इन कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन दोबारा बहाल होने के इंतजार में NPS को अपनाया ही नहीं. इसका दोहरा नुकसान हो रहा है. एक तो इन कर्मचारियों के पास भविष्य के लिए न तो कोई सेविंग हो रही है और न ही NPS पर सरकार की ओर से मिलने वाली राशि का भुगतान किया जा रहा है. इससे हर साल उन्हें लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है.
दरअसल, कर्मचारियों और कर्मचारी संगठनों का मानना है कि अगर उन्होंने NPS को अपना लिया तो इसके नियमों में बंधकर रह जाएंगे. ऐसे में भविष्य में अगर पुरानी पेंशन लागू भी होती है तो शायद उन्हें इसका फायदा नहीं मिलेगा, क्योंकि उन्होंने पहले ही NPS को अपना लिया है. लेकिन, ऐसा नहीं है. जब कभी पुरानी पेंशन लागू होगी तो इसका फायदा सभी को मिलेगा. इससे इस बात पर कोई फर्क नहीं पड़ता कि NPS में अंशदान हो रहा या नहीं.
NPS वालों पर कोई फर्क नहीं
दरअसल, हाल में कुछ राज्यों ने अपने स्तर पर पुरानी पेंशन को लागू भी कर दिया है. राजस्थान और हिमाचल प्रदेश में कर्मचारियों को पुरानी पेंशन का लाभ दिया जा रहा है. इसमें वे कर्मचारी भी शामिल हैं, जिन्होंने पहले NPS को अपनाया था और इसमें अपना अंशदान दे रहे थे. जाहिर है कि पुरानी पेंशन लागू होने पर इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ेगा कि आप NPS में अंशदान कर रहे हैं अथवा नहीं.
कैसे सुरक्षित होगा भविष्य
पुरानी पेंशन की मांग और आंदोलन के प्रभाव से अगर आप NPS में योगदान नहीं कर रहे हैं तो आर्थिक रूप से बड़ा नुकसान आपको हो रहा है. इसके दो पहलू हैं. अगर पुरानी पेंशन लागू हो जाती है तब तो भविष्य सुरक्षित है, लेकिन अगर किसी वजह से पुरानी पेंशन लागू नहीं हो पाई तो आपके पास भविष्य के लिए कोई सेविंग नहीं होगी और रिटायरमेंट के बाद बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.