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समंदर में अब कौन सा बवंडर! आखिर इंडियन नेवी ने अचानक अरब सागर में क्यों तैनात किए 10 वॉरशिप

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समंदर में एक बार फिर से खलबली मचने वाली है, क्योंकि भारतीय नौसेना ने अरब सागर में 10 से ज्यादा युद्धपोतों को तैनात कर दिया है. अब सवाल उठता है कि आखिर भारतीय नौसेना ने अरब सागर में अपने युद्धपोतों को तैनात क्यों किया है? दरअसल, बीते दिनों जिस तरह से समुद्री डकैतों द्वारा सोमालिया के तट पर एक जहाज को हाईजैक किया गया, उसके बाद से ही नौसेना एक्टिव हो चुकी है और अरब सागर में समुद्री डकैती और ड्रोन हमलों को रोकने के लिए अपनी नौसैनिक उपस्थिति को और बढ़ा दिया है. दरअसल ,भारत ने अब उत्तर और मध्य अरब सागर से लेकर अदन की खाड़ी तक फैले क्षेत्र में समुद्री कमांडो के साथ 10 से अधिक अग्रिम पंक्ति के युद्धपोतों को तैनात कर दिया है.

इंडियन नेवी के प्रमुख एडमिरल आर हरी कुमार ने सीएनए-न्यूज18 से खास बातचीत में बताया था कि कैसे भारतीय नौसेना के कमांडो एमवी लीला नॉरफॉक जहाज अपहरण मामले की जांच कर रहा है और आसपास के क्षेत्र में नौकाओं का निरीक्षण कर रहा है. बताया जा रहा है कि इन युद्धपोतों की तैनाती में मारकोस कमांडो (MARCOS) भी शामिल हैं. अधिकारियों ने कहा कि भारतीय नौसेना हिंद महासागर क्षेत्र की स्थायी शक्ति है और वह भारत के राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने और क्षेत्र को स्वतंत्र, निष्पक्ष और वैश्विक व्यापार के लिए खुला बनाने के लिए जो कुछ भी कर सकती है वह करेगी.

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट की मानें तो उन्नत समुद्री सुरक्षा अभियान भारत की ओर से स्वतंत्र रूप से संचालित किए जा रहे हैं. इतना ही नहीं, भारत ने दिसंबर में लाल सागर में शुरू किए गए अमेरिकी नेतृत्व वाले बहुराष्ट्रीय ‘ऑपरेशन प्रॉस्पेरिटी गार्जियन’ का हिस्सा बनने से खुद को अलग कर लिया है. दरअसल, यमन के हूती विद्रोहियों द्वारा नागरिक और सैन्य जहाजों पर हमलों के बाद दिसंबर में लाल सागर में अमेरिका ने यह ऑपरेशन शुरू किया है.

किस बात पर है भारत का जोर
यही वजह है कि कमर्शियल जहाजों पर समुद्री डकैती और ड्रोन हमलों के बढ़ते खतरे के बीच भारत ने अरब सागर में अपनी निर्बाध उपस्थिति बनाए रखने पर जोर दिया है. एक अधिकारी के हवाले से कहा गया कि इसका उद्देश्य अरब सागर में अपनी स्थिति को स्थिर करने और समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा देने में मदद करना है. समंदर में निगरानी के लिए प्रीडेटर का भी इस्तेमाल किया जा रहा है. पहले से तैनात लंबी दूरी के पी-8आई समुद्री गश्ती विमान और समुद्री संरक्षक ड्रोन द्वारा लगातार आईएसआर (खुफिया, निगरानी और टोही) मिशन चलाए जा रहे हैं. ये दोनों नौसेना अधिकारियों को निरीक्षण और अध्ययन के लिए उच्च-रिजॉल्यूशन लाइव फीड मुहैया कराते हैं.