किसान दिनभर खेत में रहता है, अगर किसी काम के लिए जाना होता है तो काफी सोचना होता है, क्योंकि बैंक सभी गांवों में नहीं हैं. दूसरे शहर या गांव में जाने आने में किसान का काफी समय बर्बाद होता है और उसका काम प्रभावित होता है. इसलिए कई बार किसान जरूरत के बावजूद बैंक नहीं जा पाता है. ऐसे किसानों के लिए अच्छी खबर है. अब किसान बैंक नहीं जाएगा बल्कि बैंक ही घर आएगा. हालांकि वो एक ही काम के लिए आएगा लेकिन बैंक कर्मी अगर गांव या घर आता है तो किसानों को कई अन्रू तरह की जानकारी मिल सकती है, जिसके लिए वो दूर दराज गांव जाता है.
केन्द्र सरकार सभी जरूरतमंद किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड (केकेसी) बनवा रहा है. इसके लिए कृषि मंत्रालय ने अभियान चला रखा है. इसके तहत गांव में ही क्रेडिट कार्ड बनाए जा रहे हैं. इसके लिए तीन कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं.
गांव-गांव में सर्वे
पहला बैंक गांव-गांव जाकर सर्वे कर रहे हैं कि जिन किसानों ने अभी तक किसान क्रेडिट कार्ड नहीं बनवाया है, उसकी वजह क्या है. इसके लिए बैंक कर्मी घर-घर जा रहे हैं. इस दौरान उन किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड भी बनाए जा रहे हैं, जिनको जरूरत है लेकिन अभी बनवा नहीं पाए हैं. देश में 12 करोड़ कुल किसान हैं, इनमें से आठ करोड़ ने क्रेडिट कार्ड बनवा लिया है, लेकिन चार करोड़ अभी भी हैं, जिन्होंने कार्ड नहीं बनवाया है.
गांव में ही क्रेडिट कार्ड बनवाने दूसरा तरीका विकसित भारत संकल्प यात्रा है, इसके तहत गांव-गांव में कैंप लगाए जा रहे हैं. किसान यहां पर जाकर कार्ड बनवा सकता है. वहीं तीसरा तरीका पीएम जनमन योजना है, हालांकि यह योजना के जनजातियों के लिए है. जहां पर कार्ड बनवाया जा सकता है.
किसान क्रेडिट कार्ड के लिए चार चीजें जरूरी
पहला कि किसान के पास आधार,दूसरा बैंक खाता होना चाहिए. तीसरा खेत होने चाहिए, स्वयं के पास हों या फिर बटाई में ले रखें हों. यानी जमीन जरूर होना चाहिए. चौथा काम बैंक कर्मी करते हैं. वो देखते हैं कि किसान के पास क्या स्किल है. यानी उसके पास जानवर हैं, या सब्जी लगा रखी हैं.