मराठा आरक्षण की मांग को लेकर महाराष्ट्र में एक बार फिर से बवाल होना शुरू हो गया है. आरक्षण की मांग की लेकर विरोध प्रदर्शन करने वाले हजारों की संख्या में लोग मुंबई को कूच कर रहे हैं. आंदोलन के नेता मनोज जरांगे जालना से मुंबई तक विरोध मार्च निकाल रहे हैं. बीते मंगलवार को मार्च पुणे पहुंच गया था. इसके बाद अब मुंबई पहुंचने वाला है. मनोज जरांगे ने कहा है कि उनकी यह रैली गणतंत्र दिवस के दिन मुंबई पहुंचेगी.
मुंबई को कर रहे हैं कूच
उन्होंने कहा है कि अगर सरकार आंदोलन को नजरअंदाज करती है तो वे मुंबई में भूख हड़ताल करेंगे. मनोज जरांगे की मांग है कि मराठाओं को कुनबी समाज में शामिल किया जाए ताकि पूरी कम्युनिटी ओबीसी कैटेगरी में आजाएगी और आरक्षण का लाभ ले सकेगी. वहीं मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा था कि पिछड़ा आयोग 23 जनवरी से एक सर्वे शुरू कर रहा है. इसमें यह पता लगाया जाएगा कि मराठा कम्युनिटी के लोग सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक रूप से कितने पिछड़े हैं.
9 दिनों में 29 लोगों ने की थी खुदकुशी
इससे पहले 25 अक्टूबर 2023 को मनोज जरांगे ने जालना जिले के अंतरवाली सराटी गांव से भूख हड़ताल शुरू की थी. मांग वही थी कि मराठा समुदाय को ओबीसी का दर्जा देकर आरक्षण दिया जाए. 9 दिनों में आंदोलन से जुड़े 29 लोगों ने खुदकुशी कर ली. इसके बाद राज्य सरकार के 4 मंत्रियों धनंजय मुंडे, संदीपान भुमरे, अतुल सावे, उदय सामंत ने जरांगे से मुलाकात कर भूख हड़ताल खत्म करने की अपील की थी और मराठा आरक्षण देने का वादा भी किया था. 2 नवंबर 2023 को मनोज जरांगे ने अपना अनशन खत्म कर दिया. साथ ही सरकार को 2 जनवरी 2024 तक का समय दिया था.
महाराष्ट्र में मराठा आबादी 33 फीसदी है
महाराष्ट्र में मराठा आबादी 33 फीसदी यानी कि 4 करोड़ है. इसमें से 90 से 95 फीसदी लोग भूमिहीन किसान हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र में खुदकुशी करने वाले किसानों में से 90 फीसदी मराठा समुदाय से ही हैं. 1997 में मराठा संघ ने सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण के लिए पहला आंदोलन किया था. प्रदर्शनकारियों ने कहा था कि मराठा उच्च जाति के नहीं बल्कि मूल रूप से कुनबी यानी कृषि समुदाय से जुड़े थे.