भारत, अगले साल अंतरिक्ष में अपना पहला मानव मिशन ‘गगनयान’ (Gaganyaan) भेजने की तैयारी में जुटा है. कुछ वक्त पहले ही इसरो (ISRO) ने इस मिशन के लिए चुने गए चारों पायलटों के नाम बताए थे. ‘गगनयान’ में जाने वाले चारों ही पायलट इंडियन एयरफोर्स के हैं. अंतरिक्ष मिशन पर जाने वाले एस्ट्रोनॉट्स साइंस और टेक्नोलॉजी के महारथी होते हैं. उनकी फिजिकल फिटनेस, किसी एथलीट से बेहतर होती ही है. साथ ही मेंटल फिटनेस भी बहुत जबरदस्त होती है.
कौन हैं चारों पायलट?
पहले बात करते हैं उन चार पायलट की, जो गगनयान मिशन के साथ अंतरिक्ष में जाएंगे. चारों ही एयरफोर्स से चुने गए हैं. इनके नाम हैं- ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालाकृष्णन नायर, ग्रुप कैप्टन अजित कृष्णन, ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप और विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला. ये चारों पायलट इन दिनों बहुत कठिन ट्रेनिंग से गुजर रहे हैं. ISRO से लेकर एयरफोर्स, और विदेशी एक्सपर्ट्स इन्हें ट्रेनिंग देने में जुटे हैं.
कहां हैं चारों पायलट, क्या कर रहे हैं?
चारों एस्ट्रोनॉट्स को बेंगलुरु में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की नई एस्ट्रोनॉट फैसिलिटी में ट्रेनिंग दी जा रही है. एक तरफ, इसरो का मानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र (Human Space Flight Centre) इन एस्ट्रोनॉट्स को अंतरिक्ष उड़ान के क्रू मॉड्यूल सिस्टम के उपयोग पर सिमुलेटर्स पर ट्रेनिंग दे रहा है. तो दूसरी तरफ, एयरफोर्स इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन (IAM) के एक्सपर्ट्स अंतरिक्ष यात्रियों की शारीरिक और मनोवैज्ञानिक कंडीशनिंग पर काम कर रहा है. IAM इन अंतरिक्ष यात्रियों की चयन प्रक्रिया में भी शामिल था.
कैसे एथलीट से ताकतवर बन गए चारो एथलीट?
ट्रेनिंग प्रोग्राम से जुड़े एक अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि चारों एस्ट्रोनॉट्स बहुत कड़ी ट्रेनिंग से गुजर रहे हैं. ट्रेनिंग में एरोबिक, एनारोबिक (Anaerobic) के साथ-साथ योग भी शामिल है. वह कहते हैं कि एक एस्ट्रोनॉट के लिए फिजिकल फिटनेस जितनी जरूरी है, उतनी ही मेंटल फिटनेस महत्वपूर्ण है. अभी तक की ट्रेनिंग के बाद चारों एस्ट्रोनॉट्स की फिटनेस अब भारत के किसी भी सुपर एथलीट की तुलना में कहीं बेहतर हो गई है.
‘गगनयान’ (Gaganyaan) के लिए चुने गए चारों पायलट के सेलेक्शन प्रोसेस में शामिल रहे रूसी अंतरिक्ष यात्री और एक्सपर्ट ओलेग वेलेरिविच कोटोव (Oleg Valeriyevich Kotov) कहते हैं ‘उन्हें (एस्ट्रोनॉट्स) बहुत मोटिवेटेड, मजबूत और स्वस्थ रहने की जरूरत है. साथ ही उनकी मनोवैज्ञानिक प्रतिरोधक क्षमता (Psychological Resistance) भी बहुत ऊंचे स्तर की होनी चाहिए. एस्ट्रोनॉट्स को खुली सोच वाला, संवादशील, बहुत मिलनसार होना पड़ेगा और हमेशा मुस्कुराना होगा…’
गुरुत्वाकर्षण से निपटने की खास ट्रेनिंग
कुछ वक्त पहले ही गगनयान के निदेशक आर. हटन ने कर्नाटक राज्य मुक्त विश्वविद्यालय के एक कार्यक्रम में बताया था कि गगनयान (Mission Gaganyaan) के लिए चयनित चारों अंतरिक्ष यात्री क्लासरूम ट्रेनिंग के साथ-साथ शारीरिक और मनोवैज्ञानिक प्रशिक्षण से गुजर रहे हैं. हटन के अनुसार, अंतरिक्ष यात्रियों को उड़ान के दौरान और आपातकालीन स्थितियों में जिस गुरुत्वाकर्षण बल का अनुभव होता है, उसके लिए बहुत अधिक शारीरिक सहनशक्ति की आवश्यकता होती है. कई बार इतना अधिक गुरुत्वाकर्षण बल होता है, जो एक टन की मारुति कार को अपने सिर पर ले जाने के बराबर होता है. इन सारी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए ट्रेनिंग दी जा रही है.
अमेरिका में भी होगी ट्रेनिंग
चारों एस्ट्रोनॉट्स को अंतरिक्ष के चरम वातावरण में रहने की खास ट्रेनिंग दी जा रही है. जिसमें माइक्रोग्रैविटी से लेकर रेडिएशन और डिसरिथिमिया आदि से बचने का प्रशिक्षण शामिल है. चारों भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों में से एक यात्री को अमेरिका (America) में भी ट्रेनिंग दी जाएगी. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की उड़ान के लिए इंडो-यूएस कोलैबोरेशन के तहत यह प्रशिक्षण होने की उम्मीद है.
कैसे हुआ था इनका सेलेक्शन?
मिशन गगनयान के लिए चुने गए चारों IAF पायलटों का सेलेक्शन यूं ही नहीं हुआ था, बल्कि बहुत कठिन परीक्षा पास करने के बाद इनका चयन हुआ. एयरफोर्स के कुल 60 पायलटों में से रूसी एक्सपर्ट्स की मदद से कुल 4 का सेलेक्शन हुआ. फिर रूस के यूरी गागरिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर (Yuri Gagarin Cosmonaut Training Centre) में शुरुआती ट्रेनिंग हुई. इस ट्रेनिंग में चारों पायलटों को बर्फ से लेकर पानी तक, जैसी विषम परिस्थितियों में सर्वाइवल के लिए ट्रेंड किया गया.
आईएएम की अंतरिक्ष यात्रियों की चयन प्रक्रिया में शामिल शारीरिक मूल्यांकन में आठ गतिविधियां शामिल थीं – इनमें से छह में एथलेटिक्स शामिल थी, जिसमें 60 मीटर की दौड़ और 5 किमी की दौड़, 20 सेकंड में 25 मीटर की तैराकी और लगातार 200 मीटर की तैराकी जैसी चीजें शामिल थीं.