आबकारी नीति मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय में एक हलफनामा दाखिल कर दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की उस याचिका का विरोध किया, जिसमें उनकी गिरफ्तारी को वैध ठहराने वाले दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई है.
ईडी ने अपने हलफनामे में कहा कि केजरीवाल को दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा अंतरिम राहत देने से इनकार करने के बाद ही गिरफ्तार किया गया था. जांच एजेंसी ने शीर्ष अदालत से कहा कि 9 बार समन जारी करने के बावजूद अरविंद केजरीवाल उनके सामने पेश न होकर पूछताछ से बच रहे थे.
ईडी ने कहा कि घोटाले की अवधि के दौरान 36 व्यक्तियों द्वारा लगभग 170 से ज़्यादा मोबाइल फोन बदले गए और नष्ट कर किये गए. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आबकारी नीति मामले में ईडी ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था.
ईडी ने अपने जवाब मे केजरीवाल की उन दलीलों को भी नकारा है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि चुनाव के वक्त गिरफ्तार करके उन्हें चुनाव प्रचार से रोकने का काम किया गया है और ये निष्पक्ष चुनाव की अवधारणा के खिलाफ है. जांच एजेंसी ने कहा है कि चाहे कोई कितने भी ऊंचे पद पर बैठा हो, अगर उसके खिलाफ ठोस सबूत हैं तो उसे गिरफ्तार किया जा सकता है और अगर आरोपी की दलील स्वीकार कर ली जाती है तो फिर अपराध में शामिल राजनेताओं को गिरफ्तारी से छूट मिल जाएगी.
‘आप’ के राष्ट्रीय संयोजक ने उन्हें ईडी द्वारा नौवां समन जारी किये जाने के मद्देनजर उच्च न्यायालय का रुख किया था, जिसे हाईकोर्ट ने वैध माना था. उस समन में, उनसे 21 मार्च को ईडी के समक्ष पेश होने को कहा गया था. उसी दिन शाम में उन्हें ईडी ने गिरफ्तार कर लिया था. वह अभी तिहाड़ जेल में न्यायिक हिरासत में हैं.
संघीय एजेंसी का आरोप है कि मामले में अन्य आरोपी आबकारी नीति तैयार करने के लिए केजरीवाल के संपर्क में थे जिसे अब रद्द किया जा चुका है. यह भी आरोप है कि इस नीति के परिणामस्वरूप आरोपियों को फायदा हुआ और इसके बदले में उन्होंने आम आदमी पार्टी को रिश्वत दी थी.