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अपने काम को पूरी ईमानदारी और दक्षता से करना ही देशसेवा: मुख्यमंत्री साय

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आप जिस रूप में भी देश की सेवा करना चाह रहे हैं, उस रूप में देश की सेवा कर सकते हैं। एक अच्छा डॉक्टर बन मरीजों की सेवा कर देश की सेवा कर सकते हैं, जनप्रतिनिधि बनकर जनता की समस्याएं दूर कर लोगों की मदद कर सकते हैं। अपने काम को बेहतर तरीके से और पूरी ईमानदारी से करना ही, आज के समय में सच्ची देश सेवा है। यह बात मुख्यमंत्री  ने विधानसभा परिसर भ्रमण के लिए कृष्णा पब्लिक स्कूल तुलसी, रायपुर से आए बच्चों के प्रश्नों के उत्तर में कही। इस दौरान उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा मौजूद रहे।
मुख्यमंत्री साय से बच्चों ने सदन में विपक्षी विधायकों के सवाल-जबाव, विधानसभा क्षेत्रों की समस्याएं दूर करने और अंतर्विभागीय समन्वय से जुड़े सवाल पूछे। मुख्यमंत्री ने विधानसभा की कार्यवाही के बारे में चर्चा करते हुए बताया कि सबसे पहले प्रश्नकाल होता है और इसके पश्चात सदस्य यदि किसी महत्वपूर्ण बिंदु पर ध्यानाकर्षण करना चाहते हैं, तो ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लेकर आते हैं। इसी तरह से उन्होंने शून्यकाल, तारांकित, अतारंकित प्रश्न, अन्य प्रस्ताव, बजट के ऊपर एवं विधानसभा में होने वाली अन्य चर्चाओं एवं विधानसभा संचालन और गतिविधियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
उन्होंने आगे कहा कि क्षेत्र की समस्याएं दूर करने के लिए विधायकों के पास विधायक निधि होती है। इसके अलावा विभागीय बजट से भी कार्य स्वीकृत किए जाते है। विधायकों को मतदाता चुनकर भेजते हैं और क्षेत्र का विकास उनकी जिम्मेदारी होती है, इसलिए वो लगातार सवाल करते है। दो विभागों के बीच विवाद की स्थिति को लेकर बच्चों की जिज्ञासा दूर करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि नीति और नियत साफ है तो ऐसी स्थिति नहीं बनती है। मुख्यमंत्री श्री साय के लंबे संसदीय अनुभव से बच्चों को बहुत सारी जानकारियां मिली और उन्होंने मुख्यमंत्री को उत्सुकता के साथ सुना।
मुख्यमंत्री ने बच्चों को संदेश देते हुए कहा कि आप सभी निष्ठा से परिश्रम करते रहेंगे तो सफलता जरूर मिलेगी। निजी स्वार्थ को छोड़कर हमें देशहित के लिए हमेशा समर्पित होकर कार्य करना होगा। जिस भी रूप में आप देशसेवा करना चाहते हैं, उसे तय कर इस दिशा में प्रयास करते रहें। मुख्यमंत्री ने बताया कि 10 साल की उम्र में मेरे पूज्य पिताजी का देहांत हो चुका था और मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं मुख्यमंत्री के पद तक पहुंच पाउंगा। मेरी इच्छा उन्नत किसान बनने की थी। लेकिन इस सफर में जो जिम्मेदारियां मुझे मिली, मैं उसे पूरी निष्ठा के साथ निभाता रहा।