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कभी पानी से डरती थी, लेकिन अब पेरिस में स्विमिंग पूल में आग लगाएगी 14 साल की तैराक

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हर खिलाड़ी का सपना होता है कि वो ओलंपिक खेलों में कम से कम एक बार शिरकत करे. लेकिन कुछ खिलाड़ी ऐसे होते हैं जो यह सपना देखने की उम्र तक आते-आते ओलंपिक में खेलने पहुंच जाते हैं. ऐसी ही एक खिलाड़ी हैं भारत की 14 साल की तैराक धीनिधि देसिंघु. धीनिधि भारतीय दल की सबसे कम उम्र की खिलाड़ी हैं. वह पेरिस में 200 मीटर फ्रीस्टाइल इवेंट में अपनी चुनौती पेश करेंगी. 

धीनिधि देसिंघु भारत की ओर से ओलंपिक में भाग लेने वाली अब तक की दूसरी सबसे कम उम्र की प्रतियोगी है. यह रिकॉर्ड आरती शाह के नाम पर दर्ज है, जिन्होंने महज 11 साल की उम्र में 1952 हेलसिंकी ओलंपिक में भाग लिया था. बेंगलुरु की नौवीं कक्षा की स्टूडेंट धीनिधि देसिंघु ने यूनिवर्सेलिटी कोटा सिस्टम के जरिये पेरिस ओलंपिक का टिकट हासिल किया है. 

बेटी का संकोच खत्म करना था लक्ष्य
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक धीनिधि देसिंघु को लगभग तीन साल की उम्र तक बोलने में परेशानी होती थी. बाद में भी वह इतनी शर्मीली थीं कि दूसरों के पास जाने से डरती थीं. वह अपने तक ही सीमित रहना पसंद करती थीं. उनके इस तरह के व्यवहार को देखते हुए उनके माता-पिता ने उन्हें कोई खेल खेलने के लिए प्रेरित किया. तैराकी एक स्पष्ट विकल्प था, क्योंकि उनके घर के ठीक बगल में एक पूल था. उनके माता-पिता बस यही चाहते थे कि धीनिधि कुछ दोस्त बनाएं.

धीनिधि ने कहा, मुझे पानी से लगता था डर
धीनिधि देसिंघु ने कहा, “लेकिन मुझे पानी पसंद नहीं आया, मैं अंदर नहीं जाना चाहती थी. मैं अपने पैर पूल में नहीं डाल सकती थी. मैं अपना सिर पानी के अंदर डालने में डरती थी. मेरे लिए यह बहुत मुश्किल था. तब मैं छह साल की थी. जब मैं अगले साल  फिर आई तब भी मैं बहुत डरी हुई थी. वास्तव में, इससे पहले कि मैं तैरना सीखूं, मेरे माता-पिता ने मुझे पूल में वो सब करके दिखाया. वे मुझे सहज महसूस कराने के लिए पूल में उतरे और इस तरह  मेरी तैराकी शुरू हुई.

सपना साकार हुआ, उम्मीद से बहुत पहले
अब बात साल 2024 की. 14 साल की धीनिधि, पेरिस ओलंपिक में भारतीय दल की सबसे कम उम्र की सदस्य होंगी. इस टीनएजर का अनुभवी तैराक श्रीहरि नटराज के साथ प्रतिस्पर्धा करेंगी. एक सपना साकार हुआ, उनकी उम्मीद से बहुत पहले. हालांकि यह आसान नहीं था. पानी में सहज होने के बाद भी, धीनिधि को दबाव झेलने में परेशानी हो रही थी. उनकी मां जेसिथा एक किस्सा सुनाती हैं जब धीनिधि लगभग आठ साल की थीं.

मां-पिता का मिला पूरा सहयोग
जेसिथा ने कहा, “मुझे पता था कि उसमें (धीनिधि) प्रतिभा है. वह पूल में बहुत अच्छा करती है. लेकिन फिर प्रतियोगिताओं में उसे दबाव महसूस हुआ. या तो वह एक दिन पहले बुखार से बीमार पड़ जाएगी या जब वह कार्यक्रम के लिए पूल में जाएगी तो उसे उल्टी हो जाएगी.” लेकिन मैंगलोर में हुई एक राज्य स्तरीय ओपन चैंपियनशिप उनके करियर का निर्णायक मोड़ साबित हुई. जेसिथा और धीनिधि के पिता देसिंघु को चिंता होने लगी थी कि कहीं वे अपनी बेटी पर अनुचित दबाव तो नहीं डाल रहे हैं, लेकिन उन्होंने इस पर कायम रहने का फैसला किया. जिसका परिणाम यह हुआ कि वो आज पेरिस में देश का प्रतिनिधित्व कर रही हैं.

नेशनल गेम्स में बनाया रिकॉर्ड
धीनिधि विलक्षण प्रतिभा की धनी हैं. उन्हें राष्ट्रीय खेलों में सात स्वर्ण पदक जीतने वाली सबसे कम उम्र की महिला तैराक होने का गौरव प्राप्त है. उनके नाम पहले से ही महिलाओं की 200 मीटर फ़्रीस्टाइल में राष्ट्रीय रिकॉर्ड दर्ज है. वह 2022 हांग्जो एशियाई खेलों में भी हिस्सा ले चुकी हैं. धीनिधि बेंगलुरु में डॉल्फिन एक्वेटिक्स में ट्रेनिंग लेती हैं, जिसका नेतृत्व द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता निहार अमीन करते हैं. मधु कुमार उनको प्रशिक्षण देते हैं. युवा खिलाड़ी को याद है कि जब वह अकादमी में पहली बार आई थीं तो तैराकी की बुनियादी बातें नहीं जानती थीं. उन्हें बैकस्ट्रोक, ब्रेस्टस्ट्रोक, और बटर फ्लाई के बारे में कुछ पता नहीं था. धीनिधि को नहीं पता था कि क्या करना है.