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डिपॉजिट से जुड़ी चिंताओं को SBI ने किया खारिज, जानिए क्या कहती है एसबीआई रिपोर्ट

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देश के सबसे बड़े लेंडर भारतीय स्टेट बैंक (SBI) डिपॉजिट से जुड़ी चिंताओं को खारिज कर दिया है. एसबीआई के इकोनॉमिस्ट्स ने सोमवार को कहा कि डिपॉजिट ग्रोथ पर चिंता एक ‘स्टैटिस्टिकल मिथ’ (Statistical Myth) है, क्योंकि वित्त वर्ष 2021-22 से डिपॉजिट की कुल रकम आवंटित क्रेडिट से कहीं ज्यादा रही है.

भारतीय स्टेट बैंक के इकोनॉमिस्ट्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, फाइनेंशियल सिस्टम में लगभग आधी टर्म डिपॉजिट वरिष्ठ नागरिकों के पास हैं जबकि युवा आबादी हाई यील्ड वाले अन्य विकल्पों की तलाश कर रही है. इकोनॉमिस्ट्स ने जमा पर लगने वाले टैक्स की संरचना में बदलाव की वकालत की है ताकि बैंकों के पास आने वाली बड़ी डिपॉजिट रकम का इस्तेमाल क्रेडिट ग्रोथ में किया जा सके.

FY22 में ज्यादा रही डिपॉजिट ग्रोथ
रिपोर्ट कहती है कि वित्त वर्ष 2021-22 से डिपॉजिट में कुल 61 लाख करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई है, जो क्रेडिट ग्रोथ के 59 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है. रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘डिपॉजिट ग्रोथ के सुस्त पड़ने का मिथक महज ‘स्टैटिस्टिकल’ है. दरअसल डिपॉजिट ग्रोथ के मुकाबले क्रेडिट ग्रोथ में सुस्ती को डिपॉजिट ग्रोथ में कमी के तौर पर प्रचारित किया जा रहा है.’’

ब्याज दरें बढ़ाने के लिए मजबूर हो रहे बैंक
पिछले एक साल से डिपॉजिट और क्रेडिट ग्रोथ के बीच की खाई को लेकर चिंता जताई जा रही है. पर्याप्त डिपॉजिट ग्रोथ के अभाव में क्रेडिट ग्रोथ की स्थिरता पर सवाल उठ रहे हैं. ऐसे में डिपॉजिट्स के लिए बैंकों को ब्याज दरें बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ा है.

FY23 और FY24 में कम रही डिपॉजिट ग्रोथ
एसबीआई के इकोनॉमिस्ट्स ने स्वीकार किया कि वित्त वर्ष 2022-23 और वित्त वर्ष 2023-24 में डिपॉजिट ग्रोथ क्रमशः 24.3 लाख करोड़ रुपये और 27.5 लाख करोड़ रुपये के साथ क्रेडिट से कम रही है. रिपोर्ट कहती है कि भारतीय बैंकिंग सिस्टम लगातार 26वें महीने धीमी डिपॉजिट ग्रोथ की स्थिति में है. ऐतिहासिक रूप से देखें तो डिपॉजिट ग्रोथ के क्रेडिट ग्रोथ से कम रहने के मामले 2-4 साल तक चलते रहे हैं.

जून, 2025-अक्टूबर, 2025 के बीच खत्म हो सकता है मौजूदा दर
इकोनॉमिस्ट्स ने कहा कि पिछले अनुभवों के आधार पर इस सुस्ती का मौजूदा दौर जून, 2025-अक्टूबर, 2025 के बीच खत्म हो सकता है. उन्होंने इस दौरान क्रेडिट ग्रोथ धीमी होने की आशंका जताई है. इसके अतिरिक्त, बैंकों से व्यापक बफर रखने के लिए कहने वाले लिक्विडिटी संबंधी नए गाइडलाइंस से क्रेडिट ग्रोथ में शॉर्ट टर्म में सुस्ती आ सकती है.