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₹7 अरब का घाटा कैसे झेलेगा भारत? अगर ट्रंप की चली तो ये होना तय, रिपोर्ट में खुलासा

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अमेरिका जिस ‘रेसीप्रोकल टैरिफ’ (प्रतिस्पर्धात्मक शुल्क) को लागू करने की होने की स्थिति में भारत के लिए निर्यात में 2 अरब डॉलर से 7 अरब डॉलर तक की गिरावट आ सकती है. इंड-रा (India Ratings and Research) ने शुक्रवार को अपनी रिपोर्ट में यह आकलन पेश किया है. भारत का अमेरिका के साथ व्यापारिक रिश्ता काफी मजबूत है. 2023-24 में दोनों देशों के बीच कुल द्विपक्षीय व्यापार 119.71 अरब डॉलर का रहा, जिसमें भारत ने 77.51 अरब डॉलर का निर्यात किया और 42.19 अरब डॉलर का आयात किया. इस दौरान भारत को अमेरिका के साथ 35.31 अरब डॉलर का व्यापार अधिशेष (ट्रेड सरप्लस) मिला.

2021 से अमेरिका, भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बना हुआ है. यह भारत के कुल निर्यात का लगभग 18% और कुल आयात का 6% हिस्सा रखता है. दोनों देशों ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है.

कितना हो सकता है नुकसान?
इंड-रा के अनुसार, यदि अमेरिका द्वारा प्रस्तावित रेसीप्रोकल टैरिफ लागू होते हैं, तो भारतीय निर्यात में 2 अरब से 7 अरब डॉलर तक की गिरावट हो सकती है. अधिक संभावना इस बात की है कि यह गिरावट 2 अरब से 3.5 अरब डॉलर के बीच रहेगी, जिससे देश की जीडीपी ग्रोथ अनुमानित 6.6% से 5-10 बेसिस पॉइंट कम हो सकती है.

क्या हो सकता है समाधान?
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत-अमेरिका के बीच रक्षा और ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने, व्यापार समझौतों को मजबूत करने और कूटनीतिक बातचीत से इस असर को कम किया जा सकता है. आने वाले 4 से 6 हफ्तों में दोनों सरकारों के बीच इस मुद्दे पर चर्चा होने की संभावना है, जिससे भविष्य की स्थिति ज्यादा स्पष्ट होगी. भारत के लिए यह जरूरी होगा कि वह अमेरिका के साथ अपने व्यापारिक रिश्तों को मजबूत बनाए रखते हुए नए टैरिफ से होने वाले संभावित प्रभावों को कम करने की दिशा में कदम उठाए.

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