

छत्तीसगढ़ में भगवान भोलेनाथ के कई ऐतिहासिक और प्राचीन मंदिर हैं, जहां स्वयंभू शिवलिंग स्थापित है, लेकिन जब अनोखे शिवलिंग की बात होती है, तो भक्तों के मन में पारद शिवलिंग को लेकर विशेष जिज्ञासा रहती है. राजधानी रायपुर के प्रोफेसर कॉलोनी स्थित सुमेरु मठ में पारद शिवलिंग की स्थापना की गई है, जिसे रशेश्वर शिवलिंग के नाम से जाना जाता है. इस अद्वितीय शिवलिंग की विशेषता इसे अन्य शिवलिंगों से अलग बनाती है, और श्रद्धालुओं के लिए यह आध्यात्मिक आस्था का केंद्र बन चुका है.
पारा को मना गया है अत्यंत पवित्र धातु
सुमेरु मठ के पीठाधीश्वर प्रचंड वेगनाथ जी महाराज ने बताया कि यह शिवलिंग पारे यानी पारद से निर्मित है. पारद को भारतीय आध्यात्मिक परंपरा में अत्यंत पवित्र और प्रभावशाली धातु माना गया है. शास्त्रों के अनुसार, भगवान शिव के वीर्य को ही पारद कहा गया है. इसलिए, इससे निर्मित शिवलिंग को सर्वोच्च और सर्वशक्तिमान माना जाता है. मान्यता है कि पारद शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा की आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि यह स्वतः प्राण प्रतिष्ठित होता है.
साकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती है पारद शिवलिंग
पीठाधीश्वर प्रचंड वेगनाथ जी महाराज ने आगे बताया कि पारद शिवलिंग की पूजा करने से व्यक्ति को जीवन के समस्त कष्टों से मुक्ति मिलती है. यह न केवल आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है, बल्कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत लाभकारी माना जाता है. पारद शिवलिंग की उपासना करने से सभी प्रकार के ग्रह दोष समाप्त हो जाते हैं. इसे घर में स्थापित करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. इसकी पूजा करने से आयु, धन, सुख, सौभाग्य और समृद्धि प्राप्त होती है. साथ ही कहा जाता है कि पारद शिवलिंग के दर्शन मात्र से भी पापों का नाश हो जाता है.
शिव साधना का सर्वोत्तम रूप है पारद शिवलिंग
सुमेरु मठ रायपुर का एक प्रसिद्ध आध्यात्मिक स्थल है, जहां नियमित रूप से धार्मिक अनुष्ठान और साधनाएं आयोजित की जाती है. यहां स्थापित रशेश्वर महादेव के दर्शन के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं. महाशिवरात्रि और सावन के महीने में इस स्थान पर विशेष आयोजन किए जाते हैं, जिनमें बड़ी संख्या में भक्त शामिल होते हैं. सुमेरु मठ भांठागांव इलाके के प्रोफेसर कॉलोनी, रायपुर में स्थित है, जो शहर के केंद्र में होने के कारण आसानी से पहुंचा जा सकता है. पारद शिवलिंग को शिव साधना का सर्वोत्तम रूप माना गया है. रायपुर के सुमेरु मठ में स्थापित यह पावन शिवलिंग न केवल छत्तीसगढ़, बल्कि पूरे देश के श्रद्धालुओं के लिए आस्था और आध्यात्मिकता का केंद्र बनता जा रहा है.