

छत्तीसगढ़ में रोचक किस्सों, रहस्यों और आस्था की कमी नहीं है. दरअसल रायगढ़ जिले से महज चार किलोमीटर दूर कोसमनारा गांव का बाबा धाम श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है. यहां 26 सालों से तपस्या में लीन सत्यनारायण बाबा को देखने के लिए देश-विदेश से भक्तों की भीड़ उमड़ती है. बाबा सालभर एक ही स्थान पर बैठकर साधना में लीन रहते हैं.
तपती गर्मी हो या कड़ाके की ठंड, बारिश का मौसम हो या तेज धूप, मौसम की कोई भी मार बाबा की तपस्या को प्रभावित नहीं कर पाती. उनका जीवन रहस्य और आस्था से भरा हुआ है, जिसे देखने और महसूस करने के लिए भक्तों की लंबी कतारें लगती हैं.
16 फरवरी 1998 से लगातार तपस्या
सत्यनारायण बाबा का जन्म 12 जुलाई 1984 को रायगढ़ के ग्राम डुमरपाली देवरी में हुआ था. उनका असली नाम हलधर था, लेकिन परिवार और गांववाले उन्हें सत्यम कहकर बुलाते थे. कहा जाता है कि 16 फरवरी 1998 को जब वे महज 13-14 साल के थे, तब स्कूल जाने के लिए निकले और फिर लौटकर घर नहीं आए. वे कोसमनारा पहुंचे और वहां शिवलिंग के पास साधना में लीन हो गए. इस दौरान उन्होंने अपनी जीभ काटकर भगवान शिव को समर्पित कर दी. तब से लेकर आज तक वे लगातार एक ही स्थान पर बैठकर तपस्या कर रहे हैं.
खाने-पीने और दिनचर्या का रहस्य
बाबा की दिनचर्या रहस्यमयी है. वे कब सोते हैं, क्या खाते हैं और कैसे इतनी गर्मी, सर्दी और बारिश सहन कर लेते हैं, यह कोई नहीं जानता. बाबा पूरे दिन और रात तपस्या में लीन रहते हैं. केवल रात के समय वे अपनी आंखें खोलते हैं और भक्तों से इशारों में बात करते हैं. इसी दौरान वे फल और दूध का सेवन करते हैं. बाबा से मिलने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं और अपनी समस्याएं बताते हैं, जिनका समाधान बाबा इशारों में ही देते हैं.