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मौसम विभाग बन गया कमाऊ पूत, सरकार का भर दिया खजाना, लाइन लगाकर खड़ी हैं बड़ी-बड़ी कंपनियां

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भारतीय मौसम विभाग (IMD) को आमतौर पर मौसम अलर्ट और गर्मी, बारिश, ओलो-बर्फबारी की चेतावनी जारी करने वाली संस्था के रूप में जाना जाता है, लेकिन अब यह सरकारी राजस्व अर्जित करने वाली प्रमुख वैज्ञानिक एजेंसी के रूप में उभर चुका है. मौसम विभाग की यह नई भूमिका इसे सरकार का सबसे बड़ा ‘कमाऊ पूत’ बना रही है, जिससे न केवल सरकारी खजाना भर रहा है, बल्कि बड़ी-बड़ी कंपनियां भी इसकी सेवाएं लेने के लिए कतार में खड़ी हैं.

मौसम विभाग ने अपनी विभिन्न सेवाओं के जरिये 2022-23 से अब तक 226 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की है, जिससे यह पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) का सबसे बड़ा कमाई करने वाला विभाग बन गया है. आईएमडी की इस आय का बड़ा हिस्सा एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) को दी जाने वाली विमानन मौसम सेवाओं से आया है. संसदीय स्थायी समिति को दी गई जानकारी के अनुसार, 2024-25 के पहले छह महीनों (सितंबर 2024 तक) में ही आईएमडी ने इन सेवाओं के जरिए 66 करोड़ रुपये की कमाई कर ली.

डेटा बिक्री से भी करोड़ों की कमाई
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, आईएमडी सिर्फ एविएशन सेवाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि मौसम संबंधी डेटा की बिक्री, समय-समय पर जारी होने वाली मौसम रिपोर्ट, और उपकरणों की जांच व अंशांकन (कैलिब्रेशन) सेवाओं से भी मोटी कमाई कर रहा है. मौसम विभाग के अलावा, चेन्नई स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी (NIOT) ने भी 42 तकनीकों का विकास किया है, जिन्हें उद्योगों को भुगतान के आधार पर स्थानांतरित किया गया. इस संस्थान ने पिछले तीन वर्षों में 24 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की है.

नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र को भी सेवाएं
आईएमडी ने नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए एक नया डेटा उत्पाद विकसित किया है, जो इस क्षेत्र की मांग के अनुरूप सेवाएं प्रदान करेगा. इसके तहत 10 दिन तक का मध्यम अवधि पूर्वानुमान उपलब्ध कराया जाता है, जिसमें बारिश, तापमान, सतही वायु दाब, आर्द्रता, हवाओं और ऊपरी वायुमंडलीय स्थितियों का विस्तृत विश्लेषण किया जाता है.

आईएमडी और अन्य राष्ट्रीय व राज्य स्तरीय आपदा एजेंसियां इन पूर्वानुमानों का उपयोग करती हैं, लेकिन अब भुगतान करने वाले ग्राहकों को भी सुरक्षित डेटा एक्सेस के तहत यह सेवाएं प्रदान की जा रही हैं. संसदीय समिति ने इसे सरकार के लिए अतिरिक्त संसाधन उत्पन्न करने का एक महत्वपूर्ण जरिया करार दिया है, जिससे तकनीकी लाभ समाज को भी मिलेगा.

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