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3 दिन में 3 अफसर सस्पेंडः एक्शन में विष्णुदेव सरकार, भारतीय वन सेवा के एक अफसर समेत राज्य सेवा के दो अफसर निलंबित…

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छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार करप्शन के खिलाफ एक्शन मोड में है। सरकार ने तीन दिन में तीन बड़े अफसरों को निलंबित किया है। 324 करोड़ के भारतमाला परियोजना मुआवजा घोटाले में राजस्व मंत्री विधानसभा में अफसरों को बचाते नजर आए मगर सरकार ने एक के बाद एक दो अफसरों को सस्पेंड कर दिया।

छत्तीसगढ़ सरकार ने भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ कार्रवाई तेज करते हुए तीन दिन में तीन अफसरों को सस्पेंड कर दिया। इनमें भारतीय वन सेवा के अधिकारी भी शामिल हैं।
2015 बैच के आईएफएस अधिकारी अशोक पटेल सुकमा के डीएफओ के साथ लघु वनोपज संघ के प्रबंध संचालक थे। आदिवासियों को तेंदूपत्ता प्रोत्साहन पारिश्रमिक राशि की गड़बड़ियों में उन्हें निलंबित किया गया है। प्रारंभिक जांच में डीएफओ की भूमिका संदिग्ध पाई गई थी।

अशोक पटले ऑल इंडिया सर्विस के अफसर हैं। डीएफओ रैंक के अफसर को सस्पेंड करना बड़ी कार्रवाई मानी जाती है। रमन सरकार की तीसरी पारी में राजेश चंदेले के बाद अशोक पटेल पहले आईएफएस होंगे, जिन्हें सस्पेंड किया गया है।
3 मार्च को डीएफओ को सस्पेंड करने के अगले दिन 4 मार्च को छत्तीसगढ़ सरकार ने जगदलपुर नग निगम के कमिश्नर निर्भय साहू को निलंबित किया। निर्भय साहू को अभनपुर में एसडीएम रहते भारतमाला परियोजना के 324 करोड़ के मुआवाजा घोटाला में सस्पेंड किया गया। रायपुर से विशाखापट्टनम सिक्स लेन कारिडोर के लिए जमीन अधिग्रहित करने के दौरान एसडीएम ने 35 करोड़ की जगह 246 करोड़ का मुआवजा बांट दिया। इसके लिए 32 खसरे को 247 छोटे-छोटे टुकड़ों में बांट दिया गया।

एसडीएम निर्भय साहू को निलंबित करने के बाद 5 मार्च को सरकार ने कोरबा के डिप्टी कलेक्टर शशिकांत कुर्रे को सस्पेंड कर दिया। शशिकांत के खिलाफ भी भारतमाला परियोजना में मुआवजे के बंदरबांट को लेकर कार्रवाई की गई है। अभनपुर के तहसीलदार रहते हुए शशिकांत ने मुआवजा स्कैम में मास्टरमाइंड की भूमिका निभाई।

रायपुर कलेक्टर की रिपोर्ट के अनुसार शशिकांत ने ही भारत सरकार की परियोजना में करोड़ों 300 करोड़ का वारा-न्यारा करने के लिए प्रतिबंध के बावजूद जमीनों को छोटे-छोटे टुकड़ों में बदल दिया ताकि आठ गुना मुआवजा दिलाया जा सके। इसकी एवज में राजस्व अधिकारियों को मोटा कमीशन मिला।

बता दें, अभनपुर के भारतमाला परियोजना मुआवजा घोटाले में इससे पहले एक तहसीलदार और दो पटवारियों को निलंबित किया जा चुका है। याने इस मामले में अभी तक राज्य प्रशासनिक सेवा के दो अधिकारियों समेत पांच को सस्पेंड किया जा चुका है।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने विधानसभा के बजट सत्र में एक सवाल के जवाब में कहा था कि उनकी सरकार जीरो टॉलरेंस पर काम कर रही है, गड़बड़ी में लिप्त किसी भी अधिकारी को बख्शा नहीं जाएगा।

ज्ञातव्य है, तीन दिन में तीन अफसर, सस्पेंड हुए हैं, उनमें से एक ऑल इंडिया सर्विस और दो राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसर हैं। इन तीनों सर्विस मुख्यमंत्री के अधीन होती हैं, इनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए किसी मंत्री की नोटशीट की जरूरत नहीं पड़ती। वरना, विभागीय मंत्री इन्हें बचाने की कोशिश कर रहे थे। 25 मार्च को नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने अभनपुर मुआवजा घोटाले के लिए प्रश्नकाल में सवाल पूछा था कि कलेक्टर की जांच रिपोर्ट में किसके खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की गई है तो राजस्व मंत्री का टका सा जवाब आया था, इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। जबकि, रायपुर कलेक्टर महीने भर पहले जांच रिपोर्ट राजस्व विभाग को भेज चुके थे।