

भारतीय शेयर बाजार में लगातार 10 दिनों की गिरावट के बाद 11वें दिन शानदार तेजी देखने को मिली है. अमेरिकी बाजारों में तगड़ी गिरावट और भारतीय बाजारों में विदेशी निवेशकों की बिकवाली के बावजूद बुधवार को भारत में तेजी क्यों है? निवेशकों के जेहन में यह सवाल होना लाजिमी है. तो चलिए जानते हैं कि किस वजह से बाजार में बुल को बल मिल रहा है?
दरअसल, एक चर्चा बाजार में फैल गई कि डोनाल्ड ट्रम्प कनाडा और मैक्सिको के साथ एक समझौते की घोषणा कर सकते हैं. इस समझौते के तहत, ट्रम्प द्वारा लगाए गए 25 फीसदी के नए टैरिफ को वापस लिया जा सकता है. CNN ने अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक के हवाले से यह जानकारी दी. इस खबर ने बाजार में एक नई उम्मीद जगाई. उधर, कल अमेरिकी वॉल स्ट्रील में मातम छाया रहा. कल ही चीन ने ट्रम्प के टैरिफ का जवाब देते हुए कुछ अमेरिकी सामानों पर 15 फीसदी अतिरिक्त शुल्क लगाया था.
तेल की कीमतों में गिरावट ने दिया सहारा
तेल की कीमतों में गिरावट ने भी बाजार को सहारा दिया. क्रूड ऑयल की कीमतें 70 डॉलर प्रति बैरल के स्तर तक पहुंच गईं, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक संकेत है. सेंसेक्स 73,392.10 अंक पर पहुंच गया, जो 402.17 अंक या 0.55% की बढ़त दर्शाता है. निफ्टी 83 अंक या 0.38% की वृद्धि के साथ 22,165.65 पर पहुंच गया. एचसीएल टेक्नोलॉजीज, टेक महिंद्रा और महिंद्रा एंड महिंद्रा जैसी कंपनियों ने 2-3% की बढ़त दर्ज की, जबकि पावर ग्रिड, टाटा मोटर्स, जोमैटो और इंफोसिस ने भी 1.7% तक की वृद्धि दिखाई.
चीन ने अमेरिका को दिया ‘जैसे को तैसा’ वाला जवाब
चीन ने अमेरिकी टैरिफ के जवाब में नए प्रतिबंधों की घोषणा की. इनमें अमेरिकी खाद्य और कृषि उत्पादों पर 10% या 15% अतिरिक्त शुल्क लगाना, 10 और अमेरिकी कंपनियों को “विश्वास न करने लायक कंपनियों की लिस्ट” में शामिल करना, और 15 अमेरिकी कंपनियों को दोहरे उपयोग वाले सामानों की आपूर्ति पर रोक लगाना शामिल है. इसके अलावा, चीन ने बायोटेक कंपनी इल्युमिना को जीन सीक्वेंसर का निर्यात करने पर प्रतिबंध लगा दिया.
चीन द्वारा लगाए गए नए टैरिफ से 2024 में अमेरिका से आयात होने वाले 22.3 अरब डॉलर या 13.6% सामान प्रभावित होंगे. यह पहले दौर की प्रतिक्रिया से कहीं अधिक है. इन नए टैरिफ के बाद, चीन द्वारा अमेरिकी आयात पर औसत शुल्क दर 22 फीसदी हो जाएगी.
अमेरिका पर हो सकता है नेगेटिव असर
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के वीके विजयकुमार ने कहा कि ट्रम्प के टैरिफ ने बाजार में अनिश्चितता का माहौल बना दिया है, जिससे ट्रेडिंग वॉल्यूम कम हुआ है. उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका को चीन, कनाडा और मैक्सिको द्वारा लगाए गए टैरिफ से बचना मुश्किल होगा. इससे अमेरिका में मुद्रास्फीति बढ़ सकती है और फेड द्वारा ब्याज दरों में वृद्धि की जा सकती है. इसका असर अमेरिकी शेयर बाजार पर भी पड़ सकता है, जो ट्रम्प की लोकप्रियता को प्रभावित कर सकता है. यही बात कल अमेरिका के अरबपति निवेशक वॉरेन बफेट ने भी कही थी. उन्होंने कहा था कि डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों से अमेरिका में महंगाई की स्थिति पैदा होगी और लोगों को परेशानी होगी.
विजयकुमार ने सलाह दी कि निवेशकों को इस घटनाक्रम पर नजर रखनी चाहिए और इंतजार करना चाहिए. उन्होंने कहा कि घरेलू खपत पर केंद्रित वित्तीय और दूरसंचार जैसे क्षेत्रों में निवेश करना बेहतर होगा. इसके अलावा, गैर-अमेरिकी बाजारों को निर्यात करने वाले ऑटो सेगमेंट में भी धीरे-धीरे निवेश किया जा सकता है.
निलेश शाह ने कहा- बॉटम बन गया
कल ही कोटक महिंद्रा एसेट मैनेजमेंट कंपनी (Kotak AMC) के मैनेजिंग डायरेक्टर निलेश शाह ने कहा था कि हालिया बिकवाली के बाद अब लॉन्ग टर्म निवेशक चुनिंदा क्वालिटी स्टॉक को खरीदना शुरू कर सकते हैं और पिछले 6 महीनों के रिटर्न के आधार पर मार्केट व्यू नहीं बनाना चाहिए.
निलेश शाह ने 4 मार्च को सीएनबीसी-टीवी18 से कहा, “निफ्टी अपने ऐतिहासिक एवरेज वैल्यूएशन से थोड़ा नीचे है. यह एक फेयर वैल्यू वाला बाजार है… और अब शायद यह लॉन्ग टर्म निवेशकों के लिए खरीदारी शुरू करने का समय है.” शाह ने कहा, “चलती ट्रेन के सामने कभी खड़े मत हों… यह एक्युमलेट करने का मौका है, न कि आज ही सब कुछ खरीद लेने का टाइम है.”