

दिल्ली की तिहाड़ जेल, जो देश की सबसे बड़ी जेलों में से एक है और जहां हाल के सालों में आम आदमी पार्टी (AAP) के बड़े नेता जैसे अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया को हिरासत में रखा गया था अब जल्द ही उसका पता बदलने वाला है. दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने अपने पहले बजट में तिहाड़ जेल को शहर के बाहरी इलाके में शिफ्ट करने का प्रस्ताव रखा है. मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इस योजना को कैदियों के कल्याण के लिए एक बड़ा कदम बताया है.
क्या है रेखा गुप्ता का प्लान?
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने मंगलवार को बजट पेश करते हुए तिहाड़ जेल को डी-कंजेस्ट करने के लिए एक नई योजना की घोषणा की. इसके तहत जेल को दिल्ली के बाहरी इलाके में स्थानांतरित करने के लिए सर्वे और कंसल्टेंसी कार्य के लिए 10 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है. गुप्ता ने कहा कि इस कदम का मकसद कैदियों की बेहतरी और जेल में भीड़भाड़ को कम करना है.
इसके साथ ही, लंपुर रेस्ट्रिक्शन एंड डिटेंशन सेंटर के नवीकरण और बदलाव के लिए भी 1 अप्रैल से काम शुरू होगा, जिसके लिए 20 करोड़ रुपये का बजट प्रस्तावित है. गुप्ता ने यह भी ऐलान किया कि कैदियों के सुधार और पुनर्वास के लिए एक सोसाइटी बनाई जाएगी. यह सोसाइटी कैदियों को स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम्स के जरिए आत्मनिर्भर बनाने पर काम करेगी और जेलों में चलने वाली फैक्ट्रियों और मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स को प्रोफेशनल तरीके से संचालित करेगी.
तिहाड़, रोहिणी और मंडोली जेलों के प्रोडक्ट्स को प्राथमिकता
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने एक और अहम घोषणा की कि तिहाड़, रोहिणी, और मंडोली जेलों में कैदियों द्वारा बनाए गए प्रोडक्ट्स को दिल्ली सरकार के दफ्तरों और विभागों द्वारा खरीद में प्राथमिकता दी जाएगी. इससे कैदियों को आर्थिक रूप से फायदा होगा और उनके पुनर्वास में मदद मिलेगी. तिहाड़ जेल में पहले से ही ‘तिहाड़ हाट’ के जरिए कैदियों द्वारा बनाए गए सामान जैसे बेकरी आइटम्स, फर्नीचर, और टेक्सटाइल्स बेचे जाते हैं, लेकिन अब इस पहल को और बढ़ावा मिलेगा.
केजरीवाल और सिसोदिया का तिहाड़ कनेक्शन
तिहाड़ जेल हाल के वर्षों में कई हाई-प्रोफाइल कैदियों की वजह से चर्चा में रही है. AAP के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को भी यहां हिरासत में रखा गया था. इन नेताओं की गिरफ्तारी और जेल में बिताए समय ने तिहाड़ को राजनीतिक और मीडिया के केंद्र में ला दिया था. अब रेखा गुप्ता की सरकार इस जेल को लेकर एक नई दिशा में काम कर रही है, जो AAP के शासनकाल में उठाए गए कदमों से बिल्कुल अलग है.
क्यों जरूरी है तिहाड़ को शिफ्ट करना?
1958 में स्थापित तिहाड़ जेल की क्षमता शुरू में 1,273 कैदियों की थी, जो बाद में बढ़ाकर 5,200 कर दी गई. लेकिन आज यहां 13,000 से ज्यादा कैदी हैं, जो इसकी क्षमता से ढाई गुना ज्यादा है. इसी तरह, मंडोली जेल में 3,776 कैदियों की क्षमता के मुकाबले 3,900 से ज्यादा कैदी हैं और रोहिणी जेल में 1,050 की क्षमता के बावजूद 2,000 से ज्यादा कैदी रखे गए हैं. यह भीड़भाड़ कैदियों के लिए स्वास्थ्य, भोजन, और रहने की जगह जैसी बुनियादी जरूरतों को प्रभावित कर रही है.