

2 अप्रैल से अमेरिका भारतीय उत्पादों पर अमेरिकी रेसिप्रोकल टैक्स लगाने जाने की संभावना है. इससे भारतीय उद्योग जगत चिंता में है और अमेरिका की जवाबी शुल्क लगाने की योजना को लेकर भारत और अमेरिका के बीच चल रहे द्विपक्षीय व्यापार समझौते को जल्द से जल्द निष्कर्ष पर पहुंचता देखना चाहता है. सूत्रों ने इस बात की जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते के लिए बातचीत अच्छी चल रही है. उन्होंने कहा, ‘‘उद्योग इसे (बीटीए) जल्द से जल्द करने की मांग कर रहा है, अन्यथा उन्हें अमेरिकी जवाबी शुल्क से नुकसान होगा. हर कोई इसके संभावित प्रभाव से उन्हें बचाने के लिए लिख रहा है.’’ एक सूत्र ने कहा, ‘‘उद्योग चिंतित है, बहुत सारी नौकरियां दांव पर हैं.’’ निर्यातकों का कहना है कि अमेरिका द्वारा जवाबी शुल्क से भारत को छूट देने से दोनों देशों के बीच निर्बाध द्विपक्षीय व्यापार को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी.
उन्होंने कहा कि भारतीय उत्पादों पर कोई भी शुल्क अमेरिका को जाने वाली खेप को नुकसान पहुंचाएगा. खबरों के अनुसार, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि वाहन शुल्क जल्द ही लागू होंगे, जबकि उन्होंने संकेत दिया कि कुछ देशों को दो अप्रैल को लगाए जाने वाले जवाबी शुल्क से छूट मिल सकती है. आइये आपको बताते हैं अमेरिकी के टैरिफ से किन भारतीय कंपनियों के व्यापार पर असर पड़ सकता है.
डायमंड और ज्वैलरी इंडस्ट्री: भारत से अमेरिका को निर्यात किए जाने वाले रत्न और आभूषणों का मूल्य 2024 में लगभग 8.5 बिलियन डॉलर था. अब अमेरिकी टैरिफ के चलते से इस सेक्टर की कंपनियों को निर्यात में कमी का सामना करना पड़ सकता है.
केमिकल और मेटल प्रोडक्ट: अमेरिकी टैरिफ से केमिकल और मेटल उत्पादों का निर्यात भी प्रभावित हो सकता है.
फार्मास्यूटिकल्स (दवा कंपनियां): सन फार्मा, डॉ. रेड्डीज, सिप्ला और लुपिन, अमेरिकी मार्केट पर ज्यादा निर्भर हैं, ऐसे में अमेरिकी टैरिफ बढ़ने से इनकी मुश्किलें बढ़ना भी लाजिमी है.
इसके अलावा, ऑटोमोबाइल और ऑटो पार्ट्स व टेक्सटाइल इंडस्ट्री भी अमेरिकी टैरिफ से प्रभावित होंगी.
भारतीय उद्योग संगठन ने क्या कहा
भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ (फियो) ने कहा है कि भारत निश्चित रूप से जवाबी शुल्क से छूट का हकदार है क्योंकि यह द्विपक्षीय व्यापार करार और विभिन्न स्तर पर अमेरिका के साथ रचनात्मक रूप से जुड़ा हुआ है.
फियो के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा कि द्विपक्षीय व्यापार को वर्तमान स्तर 200 अरब अमेरिकी डॉलर से 500 अरब डॉलर तक ले जाने के मिशन के लिए निर्बाध व्यापार को अधिक प्रयासों की आवश्यकता है, जिसे छूट से और मदद मिलेगी.
हालांकि, शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने कहा कि यह बहुत कम संभावना है कि भारत को ट्रंप युग के शुल्क से छूट मिलेगी, खासकर अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा भारत को लगातार ‘ऊंचे शुल्कों’ वाला देश बताने के बाद इस बात की संभावना कम है।