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चल पड़ा ऐसा चलन, जो न आम आदमी के लिए अच्छा और न ही सरकार के लिए! सबको ले बैठेगा

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देश में निवेश को लेकर अब एक नया ट्रेंड देखने को मिल रहा है. पहले जहां लोग बैंक सेविंग अकाउंट या एफडी में अपना पैसा रखना पसंद करते थे, वहीं अब शेयर बाजार से संबंधित निवेश माध्‍यमों को वे तव्‍वजो दे रहे हैं. बैंकों से पैसा निकालकर शेयर बाजार में निवेश करने की बढती प्रवृति ने सरकार के कान खड़े कर दिए हैं. वित्‍त मंत्रालय ने चेताया है कि यह चलन ने आम आदमी के हित में है और न ही बैंकों के लिए फायदेमंद. वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग ने संसद की स्थायी समिति को बताया है कि मोटे मुनाफे की आस में लोग अब अपनी बचत को शेयर बाजार-लिंड प्रोडक्ट्स में लगा रहे हैं. इससे उनको नुकसान हो सकता है, क्‍योंकि शेयर बाजार में गिरावट आना आम बात है. बाजार की गिरावट का सबसे ज्‍यादा असर छोटे निवेशकों पर ही होता है.

भारत में धड़ाधड़ खुल रहे डीमैट अकाउंट भी लोगों की शेयर बाजार में बढ रही रुचि को बताते हैं. फरवरी 2025 में भारत में डीमैट खातों की संख्या 19 करोड़ के आंकड़े को पार कर गई. फरवरी में 23 लाख नए डीमैट खाते खुले. जनवरी 2025 में 28 लाख नए डीमैट खाते खुले थे. NSDL और CDSL के साथ रजिस्टर्ड डीमैट खातों की कुल संख्या अब 19.04 करोड़ तक पहुंच गई. डीमैट खातों की संख्‍या में वृद्धि बता रही है कि शेयर बाजार और इससे संबंधित निवेश विकल्‍पों में लोग ज्‍यादा पैसा लगा रहे हैं.

क्‍यों खतरनाक है ये ट्रेंड
वित्त मंत्रालय ने संसदीय समिति को बताया कि लोग ज्यादा मुनाफे की उम्मीद में शेयर बाजार, म्यूचुअल फंड और बाजार से जुड़े अन्य निवेश साधनों में पैसा लगा रहे हैं. शेयर बाजार में किया गया निवेश जोखिमों के अधीन होता है. आम आदमी इनके बारे में ज्‍यादा नहीं जानता. लिहाजा उसे नुकसान होने की आशंका ज्‍यादा होती है. बाजार में आई गिरावट उसकी पूरी बचत को साफ कर सकती है. बैंकों में रखा पैसा सुरक्षित रहता है.